मद्लसा
विद्या गमन
का उल्लेख मुख्य रूप से भारतीय पौराणिक ग्रंथों में होता है। मद्लसा एक पौराणिक
पात्र थीं,
जो ऋषि कश्यप और उनकी पत्नी अदिति की पुत्री और राजा ऋतुध्वज की
पत्नी थीं। उनकी कहानी मुख्य रूप से शिक्षा और आदर्श जीवन के सिद्धांतों से जुड़ी
हुई है।
मद्लसा की विद्या और गमन
1. मद्लसा
की विद्या:
मद्लसा एक अत्यंत ज्ञानी और विदुषी महिला थीं। उनकी विद्या और ज्ञान
उनके पुत्रों को संस्कारित और शिक्षित करने में दिखता है। उन्होंने अपने पुत्रों को
सांसारिक मोह-माया से ऊपर उठकर आत्मज्ञान और सत्य का अनुसरण करना सिखाया।
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अपने पहले तीन पुत्रों को उन्होंने
"त्याग" का महत्व समझाया और उन्हें सन्यास का मार्ग दिखाया।
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चौथे पुत्र, अलर्क, को उन्होंने राजा के कर्तव्यों और समाज सेवा
के मार्ग पर लगाया।
2. मद्लसा
गमन:
मद्लसा का गमन (यहां गमन का मतलब जीवन से विदा लेना हो सकता है)
उनकी शिक्षाओं और आदर्शों से जुड़ा हुआ है। यह उल्लेख करता है कि उन्होंने अपने
जीवन के अंत में संसार को त्यागकर आत्मज्ञान प्राप्त किया और अपनी जीवन यात्रा को
पूर्ण किया।
पौराणिक संदेश
मद्लसा
की कहानी से यह संदेश मिलता है कि व्यक्ति को अपने जीवन में सत्य, ज्ञान और आत्मा की शांति को महत्व देना चाहिए। सांसारिक बंधनों से मुक्ति
और उच्च आदर्शों की प्राप्ति ही जीवन का अंतिम लक्ष्य है।